Kumar Kishan Badar

14.December 2021

Italian Trulli

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 #सालगिरह_मुबारक #जॉनएलियासाहब तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे बा'द भला क्या हैं वअदा-ओ-पैमाँ बस अपना वक़्त गँवा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारे हिज्र की शब-हा-ए-कार में जानाँ कोई चराग़ जला लूँ अगर इजाज़त हो जुनूँ वही है वही मैं मगर है शहर नया यहाँ भी शोर मचा लूँ अगर इजाज़त हो किसे है ख़्वाहिश-ए-मरहम-गरी मगर फिर भी मैं अपने ज़ख़्म दिखा लूँ अगर इजाज़त हो तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 https://rek.ht/et/0d44/2 पूरा नाम सय्यद हुसैन जॉन असग़र। जॉन का जन्म 14 दिसंबर 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ। शुरूआती तालीम अमरोहा में  ही ली और उर्दू, फ़ारसी और अर्बी सीखते-सीखते अल्हड़ उम्र में ही शायर हो गए। 1947 में  मुल्क आज़ाद हुआ और आज़ादी अपने साथ बंटवारे का ज़लज़ला भी लाई। तब सय्यद हुसैन जॉन असग़र ने हिंदुस्तान में रहना तय किया पर 1957 आते-आते समझौते के तौर पर  पाकिस्तान चले गए और पूरी उम्र वहीं गुज़ारी। जॉन पाकिस्तान चले तो गए मगर यूँ समझिए के जॉन का दिल अमरोहा में ही रह गया। अमरोहा से चले जाने का अफ़सोस उन्हें ता-उम्र ही रहा, जॉन ने लिखा। जॉन को बे-हद दुःख था अमरोहा छोड़ के कराची जाने का और दोनों मुल्क़ों के दो हिस्से होने का। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 मत पूछो कितना ग़मगीन  हूँ, गंगा जी और जमना जी  में जो था अब मैं वो नहीं हूँ, गंगा जी और जमना जी  मैं जो बगुला बनके बिखरा,वक़्त की पागल आंधी में  क्या मैं तुम्हारी लहर नहीं हूँ, गंगा जी और जमना जी   बाण नदी के पास अमरोही में जो लड़का रहता था  अब वो कहाँ है, मैं तो वहीं हूँ, गंगा जी और जमना जी 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 दंगों के दौरान, जॉन पकिस्तान तो आ गए मगर जॉन इसे एक समझौता ही समझा करते थे। जॉन की नज़्मों और ग़ज़लों से अमरोहा और हिन्दुस्तान की मिटटी की खुशबू अक्सर आती रही। 1947 के सियासी  माहौल को बयां करते हुए उन्होंने लिखा- हरमो-दैर की सियासत है  और सब फैसले हैं नफरत के  यार कल सुबह आए हमको नज़र  आदमी कुछ अजीब सूरत के  इन दिनों हाल शहर का है अजीब  लोग मारे हुए हैं दहशत  के 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 08 नवंबर 2002 को पाकिस्तान के कराची में ही इंतकाल हुआ पर तब तलक सय्यद हुसैन जॉन असग़र दुनिया के लिए जॉन एलिया बन चुके थे। लाखों दिलों के महबूब शायर बन चुके थे। जॉन वो शायर हो चुके थे जो हर मर्तबा जदीद लगे। जॉन वो शायर हो चुके थे जिसकी बेफिक्र शायरी में हर शख्श को अपना अक्स दिखे। लेकिन जॉन एलियासाहब को उतनी महब्बत प्यार नही मिला जितना केअब ज़िन्दगी भर मेरे महबूब शाइर रहेंगे। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 जॉन साहब का एक शे'र है जो मुझे व्यक्तिगत रूप से पसंद है- "शर्म,दहशत,झिझक परीशानी नाज़ से काम क्यों नहीं लेती, आप वो जी मगर ये सब क्या है तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेती।" @panktiyan @hindinama @hindi_house ig_kumarkishan_badar   💐💐💐💐💐💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💐💐💐💐💐

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